क्या जैन हिन्दू होते है ?

Abhishek Jain
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क्या जैन हिन्दू होते है ?

अगर आप लोग हिन्दू होने का अर्थ - भौगोलिक क्षेत्रफल के हिसाब से लेते हो जिसमे सिंधु नदी को हिन्दू कहा गया तथा इस देश को हिन्दुस्तान जिसमे मुख्य तौर से सनातन धर्म , जैन धर्म , बौद्ध धर्म सिक्ख धर्म ने जन्म लिया उस हिसाब से ये चारो धर्म हिन्दू धर्म का हि हिस्सा है , और जैन हिन्दू ही है ।

लेकिन आपका मतलब अगर सनातन धर्म से है , जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में हिन्दू धर्म कहा जाता है , तो उस सनातन हिन्दू धर्म का हिस्सा जैन धर्म कभी भी नही रहा । वो बात अलग है कि हिन्दू लोगो के साथ जैन अनुयायियों का आपसी मेल झोल बहुत ज्यादा है जिस वजह से सामान्य लोगो को जैन लोग भी हिन्दू हि लगते है । परन्तु वास्तव में इतिहास के दृष्टिकोण से व धार्मिक दृष्टिकोण से दोनों धर्मो में बहुत अंतर है , इसलिए कृपया कर इस post को पूरा पढ़े ।

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Are Jain's Hindu

जैन लोग हिन्दू नही होते जैन एक अलग और स्वतंत्र धर्म है । जैन धर्म का स्वयं का साहित्य , स्वयं के आगम ग्रंथ , हमारे तीर्थंकर , हमारा नवकार मंत्र , हमारी आचार्य परम्परा , हमारी स्वयं की काल गणना ये सभी चीजे हमें हिन्दूओं से भिन्न बनाती है । जैन धर्म पूर्णतया स्वतंत्र और पूर्णतः संकलित धर्म है जो अहिंसा के परम सिद्धांत पर निर्मित है । स्याद्वाद और अनेकांतवाद की विचार धारा ' जिओ और जीने दो ' वाला जैन धर्म एक स्वतंत्र धर्म है । ये कभी भी हिन्दू धर्म की शाखा नही थी और न ही यह कोई पंथ है । जैन धर्म पूर्णतः एक स्वतंत्र धर्म है ।

हमारा जैन धर्म स्वतंत्र है , हमारा धर्म युगो - युगों से हिन्दू धर्म के समानान्तर चला आ रहा है । जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म है जबकि हिन्दू धर्म वैदिक शाखा से निकला है । कभी भी श्रमण परम्परा वैदिक परम्परा के साथ मिश्रित नही हुई । जैन धर्म हमेशा से हि स्वतंत्र धर्म था चाहे मौर्य काल हो या गुप्त काल राजपुत काल में भी जैन धर्म स्वतंत्र धर्म था , सल्तनत काल व मुगल काल में भी जैन धर्म को स्वतंत्र धर्म के रूप में मान्यता प्राप्त थी यहां तक की अंग्रेज भी जैन धर्म को स्वतंत्र हि मानते थे परन्तु जब भारत आजाद हुआ तब जैन धर्म को हिन्दू संविधान के दायरे मे लाकर उसे हिन्दू धर्म का अंग घोषित कर दिया था ।

जैनियों कि लम्बी अहिंसक कानून की लड़ाई के बावजूद जनवरी 2104 में भारत सरकार द्वारा जैन धर्म को स्वतंत्र धर्म का दर्जा पुनः प्रदान कर दिया गया । हम आजाद भारत के स्वतंत्र नागरिक है और हिन्दू , सिक्ख व बौद्ध भाईयो के साथ सामाजिक मेल झोल व सौहार्द के साथ रहते है । हम ' जिओ और जीने दो ' में विश्वास के साथ रहते है और ' अहिंसा परमो धर्मः ' कहते है ।

अगर कोई त्रुटी हो तो " तस्स मिच्छामी दुक्कडम "


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" जय जिनेन्द्र "

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