
श्री शांतिनाथ जी चालीसा
श्री शांतिनाथ जी चालीसा शांतिनाथ महाराज का, चालीसा सुखकार । मोक्ष प्राप्ति के ही लिए, कहूँ सुनो चितधार ।। चालीसा चालीस…

श्री शांतिनाथ जी चालीसा शांतिनाथ महाराज का, चालीसा सुखकार । मोक्ष प्राप्ति के ही लिए, कहूँ सुनो चितधार ।। चालीसा चालीस…
श्री मंगलाष्टक स्तोत्र - अर्थ सहित अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा, आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्…
जैन धर्म में नारद कलह प्रिय और युद्ध प्रिय होते हैं । जैन धर्म में नारद की संख्या एक काल में 9 होती है । नारद एक स्थान …
जैन धर्म के अनुसार रुद्र प्रारम्भं में पवित्र आत्मा होती है , जो बाद में पथभष्ट्र होकर नरकगामी बनती है । जैन धर्म में …
ये अष्ट प्रतिहार्य तीर्थंकर भगवान को केवलज्ञान प्राप्त होते ही घटित होते हैं और निर्वाण अवस्था तक साथ रहते हैं। इन प…
तीर्थंकर गोत्र के बीस स्थानक होते है । तीर्थंकर महाप्रभु सर्वज्ञ होते हैं। वे प्रश्न करने वाले के हर प्रश्न का उत्तर ब…
जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में 24 तीर्थंकर जन्म लेते हैं। तीर्थंकर प्रभू का जन्म क्षत्रियकुल में होता है। वे कभी भी दरिद…