
जैन धर्म के पंच महाव्रत कौन से है ?
जैन धर्म के पंच महाव्रत जैन धर्म में पंच महाव्रतो का अति महत्व है । ये पाँचो महाव्रत जैन धर्म का सार है । जैन धर्म के …

जैन धर्म के पंच महाव्रत जैन धर्म में पंच महाव्रतो का अति महत्व है । ये पाँचो महाव्रत जैन धर्म का सार है । जैन धर्म के …
प्राचीन समय में अवन्ती (उज्जयनी) में राजा प्रजापाल राज्य करते थे। उनकी दो सुन्दर सुशील कन्याएं थीं। बड़ी का नाम सुरसुन्…
भगवान महावीर स्वामी जी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है । प्रभु महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था । जैन धर्म के इस कालखण्ड…
रोहिणी व्रत ( Rohini Vrat) का जैन धर्म में विशेष महात्म्य है । इस व्रत की साधना से जीव विपुल ऐश्वर्य की प्राप्ती करता…
भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति की घटना कोई साधारण बात नही थी । प्रभु महावीर की साढ़े बारह (12.5) वर्ष की सा…
धर्माचरण का पांचवां नियम अपरिग्रह है। गृहस्थ पूर्णतया अपरिग्रह का पालन नहीं कर सकता है, लेकिन वह अपनी इच्छा और आवश्यकता…
बहुत पुराने जमाने की बात है । मेघरथ नामक एक राजा बड़ा ही दयालु था । वह किसी भी प्राणी को दुःखी देखता तो उसका हृदय दया स…
भगवान महावीर की साधना सत्य की साधना थी। भगवान महावीर की साधना 12 वर्षों तक चली, प्रभु महावीर की इस साधना काल के दौरान,…
थावच्चापुत्र एक दिन अपनी अट्टालिका पर खड़ा था। उसके कानों में मधुर-मधुर गीत सुनाई दिए। वह उन्हें सुनता गया। उसे बड़ा अच…