chattari mangal path,chattari mangal path in hindi,चत्तारिमंगल पाठ (जैन मगंल पाठ)
जैन मंगल पाठ जैन साधुओ के द्वारा विशेष अवसर पर सुनाया जाता है, इस पाठ को पढ़ने व सुनने से सदा मंगल हि मगंल होता है, इस पाठ को किसी भी अवसर यथा गोचरी(जैन साधुओ द्वारा भिज्ञा) लेने के बाद, उत्तम स्वास्थ्य कि कामना के लिए, यात्रा के समय आदि किसी भी कार्य के लिए सुना या पढ़ा जा सकता है।
यह एक प्राचीन पाठ है जो प्राकृत भाषा में जैन आचार्य के द्वारा लिखा गया था।
चत्तारिमंगल पाठ (जैन मगंल पाठ)
चत्तारि मंगलं- अरिहंत मंगलं, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं।
चत्तारि लोगुत्तमा- अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा।
चत्तारि सरणं पव्वज्जामि- अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि।
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