भगवान महावीर और चंड कौशिक

0

भगवान महावीर अंबिका नगरी कि तरफ बढ़े, वहा से मार्ग जंगल में दो रास्तो में बंट गया । किसी राहगीर ने प्रभु महावीर को बताया कि पहला रास्ता बड़ा है, परंतु सुरक्षित है परंतु यह दूसरा मार्ग छोटा होने के साथ-साथ ही खतरनाक भी है । इस मार्ग में चंड कौशिक नाम का भयंकर विषधर रहता है, उसकी दृष्टि मात्र से ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है । भगवान महावीर मुस्कुराए और उस छोटे और मुश्किल रास्ते की तरफ बढ़ दिए। प्रभु महावीर रास्ते से जा रहे थे तभी भयंकर विषधर चंड कौशिक ने उनकी तरफ देखा।

जानिये - अर्जुन माली की कहानी (जैन कहानी)

भगवान महावीर और चंड कौशिक
भगवान महावीर और चंड कौशिक

चंड कौशिक ने अपना दृष्टि विष भगवान महावीर की तरफ डाला , परन्तु ये क्या ? विषधर के विष का कोई प्रभाव हि नही हुआ। चंड कौशिक ने अपने क्रोध के वश हो प्रभु के अंगुठे पर दंश किया । परंतु यह क्या आश्चर्य ! अंगूठे मे लाल रक्त की जगह दूध की धारा बह निकली। चंड कौशिक का सारा घमंड चूर चूर हो गया फिर भगवान महावीर ने सांत्वना भरी वाणी में कहा "शांत चंड कौशिक शांत , तुम्हारे क्रोध के कारण ही तुम अपने कर्मो का फल भुगत रहे हो, अपने पूर्व जन्मों मे भी तुमने क्रोध के कारण अपना जन्म गवा दिया था, अब इससे शांति और अहिंसा में लगाओ निरापराध प्राणियों का वध बंद कर दो" ।


प्रभु की सांत्वना भरी वाणी को सुनकर चंड कौशिक शांत हो गया । उसने हिंसा का मार्ग त्याग दिया और प्रत्येक जीव को अभयदान दिया। इसके पश्चात् फिर कभी भी चंड कौशिक ने किसी भी जीव के प्राणो का अंत नही किया उसका क्रोध सदा के लिए शांत हो गया । प्रभु महावीर चंड कौशिक के कल्याण के लिए ही आए थे, उनहोने जीवो की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया । जिस दिन चंड कौशिक नाग की मृत्यु हुई,लोगों ने दूध से उसका अभिषेक किया, जैन मान्यतानुसार यही दिन नाग पंचमी कहलाया।


भगवान महावीर और चंडकौशिक की कहानी on Jainism knowledge Youtube channel.


Please, Like ❤️ Share & Subscribe My Youtube channel .

अगर आपको मेरी यह blog post पसंद आती है तो please इसे Facebook, Twitter, WhatsApp पर Share करें ।

अगर आपके कोई सुझाव हो तो कृप्या कर comment box में comment करें ।

Latest Updates पाने के लिए Jainism Knowledge के Facebook page, Twitter account, instagram account को Follow करने के लिए हमारे Social media पेज पर जायें ।

" जय जिनेन्द्र "

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

एक टिप्पणी भेजें (0)