Bhaktamar Stotra Shloka-26 With Meaning

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  Bhaktamar Stotra Shloka-26 With Meaning

भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का महान प्रभावशाली स्तोत्र है । इस स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी । इस स्तोत्र की रचना संस्कृत भाषा में हुई थी , जो इस स्तोत्र की मूल भाषा है, परन्तु यदी आपको संस्कृत नही आती तो आपकी सुविधा के लिए Bhaktamar Stotra के श्र्लोको (Shloka) को हमने मूल अर्थ के साथ - साथ हिन्दी में अनुवादित करते हुये उसका अर्थ भी दिया है , साथ हि साथ जिन लोगो को English आती है और संस्कृत नही पढ सकते वह सधार्मिक बंधु भी English मे Bhaktamar stotra का पाठ कर सकते है । इस प्रकार से Bhaktamar Stotra Shloka-26 With Meaning की सहायता से आप आसानी से इस स्तोत्र का पाठ कर सकते है ।

चाहे भाषा कोई भी हो हमारी वाणी से श्री आदीनाथ प्रभु का गुणगाण होना चाहिए । नित्य प्रातः काल मे पूर्ण शुद्धता के साथ श्री भक्तामर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें ।

Bhaktamar Stotra Shloka-26

Bhaktamar Stotra Shloka - 26

आधा शीशी (सिर दर्द) एवं प्रसूति पीडा नाशक

(In Sanskrit)

तुभ्यं नम स्त्रिभुवनार्ति-हाराय नाथ,

तुभ्यं नमः क्षिति-तलामल-भूषणाय ।

तुभ्यं नमस्त्रिजगतः परमेश्वराय,

तुभ्यं नमो जिन! भवोदधि-शोषणाय ॥26॥

(In English)

tubhyam namastribhuvanartiharaya natha |

tubhyam namah kshititalamalabhushanaya |

tubhyam namastrijagatah parameshvaraya,

tubhyam namo jina ! bhavodadhi shoshanaya || 26 ||

Explanation (English)

O Salvager from all the miseries ! I bow to thee. O 

Master of this world ! I bow to you. O Lord supreme of 

the three worlds ! I bow to you. O eradicator of the 

unending cycle of rebirths ! I bow to you.

(हिन्दी में )

नमो करूँ जिनेश! तोहि आपदा निवार हो |

नमो करूँ सु भूरि भूमि-लोक के सिंगार हो ||

नमो करूँ भवाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो |

नमो करूँ महेश! तोहि मोख-पंथ देतु हो ||२६||

(भक्तामर स्तोत्र के 26 वें श्लोक का अर्थ )

हे स्वामिन्! तीनों लोकों के दुःख को हरने वाले आपको नमस्कार हो, प्रथ्वीतल के निर्मल आभुषण स्वरुप आपको नमस्कार हो, तीनों जगत् के परमेश्वर आपको नमस्कार हो और संसार समुन्द्र को सुखा देने वाले आपको नमस्कार हो |


" भगवान ऋषभदेव जी की जय "

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