पंच परमेष्ठी की महिमा - जैन भजन

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 पंच परमेष्ठी की महिमा - जैन भजन

नवकार मंत्र के भजन

पंच परमेष्ठी की महिमा - जैन भजन

जय जय जय जयकार, परमेष्ठी
जय-जय भविजन-बोध-विधाता,
जय जय आत्म-शुद्धि-विधाता,
जय भवभंजनहार, परमेष्ठी ।।

जय सब संकट चूरण कर्ता,
जय सब आशा पूर्ण कर्ता,
जय जग मंगलकार, परमेष्ठी ।।

तेरा जाप जिन्होंने कीना,
परमानन्द उन्होंने लीना,
कर गये खेवा परमेष्ठी ।।

लीना शरणा सेठ सुदर्शन,
शूली से बन गया सिंहासन,
जय जय करें नरनार, परमेष्ठी ।।

द्रोपदी- चीर सभा में हरना,
तब तेरा ही लीना शरणा,
बढ़ गया चीर अपार, परमेष्ठी ।।

सोमा ने तुम सुमरण कीना,
सर्प फूल माला कर दीना,
वर्ते मंगलाचार, परमेष्ठी ।।

'अमर' शरण में संप्रति आया,
श्रद्धा की सुमनांजलि लाया,
शीघ्र करो उद्धार, परमेष्ठी ।।

" जय जिनेन्द्र " 

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" जय जिनेन्द्र " 

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