जैन साधु नंगे पांव क्यों चलते है ?
जैन साधुओं का प्रमुख धर्म है अहिंसा । मार्ग में किसी भी छोटे से जीव की विराधना न हो जाए, उन्हें किसी भी प्रकार की हानि न पहुंचे इसी बात का विशेष ध्यान रखकर जैन साधु नंगे पांव चलते हैं।
मार्ग में वह अनेकों प्रकार के कष्टों को सहते हैं, कभी उनके पैरों में शूल चुभ जाते हैं और कभी कंकड़ या कांच का टुकड़ा भी लग जाता है।
लेकिन वे ऐसा किस लिए करते हैं ?
ऐसा वे धर्म के पालन के लिए करते है । अहिंसा का पालन हि धर्म का पालन है । मार्ग में चलते हुए सुक्ष्म जीव यथा छोटे से छोटे जीव चींटी तक को भी कष्ट न हो इतनी सावधानी रखने के बाद भी अनजानी हिंसा के लिए प्रत्येक संध्या के समय प्रति क्रमण (अनजानी हिंसा के लिए क्षमा याचना ) की जाती है ।
नंगे पांव चलकर वह यह सुनिश्चित करते है कि मेरे पांव के नीचे आकर किसी भी प्रकार के जीव कि हिंसा न हो , साथ ही आवश्यक वस्तुओ के अतिरिक्त बाकी सब का त्याग हो जाये ।
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