ॐ जय महावीर प्रभो ! भगवान महावीर आरती

Abhishek Jain
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भगवान महावीर का सम्पूर्ण जीवन परिचय, उपदेश और आरती

भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थकर हैं। प्रभु महावीर का जीवन त्याग व तपस्या से परिपूर्ण था। उनका प्रमुख उपदेश है: **"जिओ और जीने दो"**। यह सिद्धांत सभी जीवों के प्रति दया और अहिंसा का भाव रखने पर ज़ोर देता है।

➡️ विस्तार से जानिये - भगवान महावीर का जीवन परिचय
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का चित्र
भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर।

🪔 ॐ जय महावीर प्रभु आरती 🪔

**ॐ जय महावीर प्रभो! स्वामी जय महावीर प्रभो ।**
जग नायक सुखदायक, अति गंभीर प्रभो । ॐ जय ०
कुण्डलपुर में जन्में त्रिशला के जाए, स्वामी त्रिशला के जाए ०
पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए । ॐ जय ०
दीनानाथ दयानिधि हो मंगलकारी, स्वामी हो मंगलकारी ०
जगतहित संयम धारा, प्रभु पर उपकारी । ॐ जय ०
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया, स्वामी सत्पथ ०
दया धर्म का झंडा, जग में लहराया । ॐ जय ०
अर्जुनमाली, गौतम, श्री चन्दनबाला, स्वामी श्री चन्दन ०
पार जगत से बेडा, इनका कर डाला । ॐ जय ०
पावन नाम तुम्हारा, जग तारणहारा, स्वामी जग तारण ०
निश दिन जो नर ध्यावे, कष्ट मिटे सारा । ॐ जय ०
करूणासागर! तेरी महिमा है न्यारी, स्वामी महिमा है ०
‘ज्ञान मुनि’ गुण गावे, चरणन बलिहारी । ॐ जय ०
➡️ जानिये - भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति कैसे हुई ।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. भगवान महावीर कौन थे?

भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने कठोर तपस्या के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और मानवता को पंच महाव्रत का उपदेश दिया।

2. महावीर स्वामी का प्रमुख उपदेश क्या है?

उनका प्रमुख उपदेश **"जिओ और जीने दो"** (Live and Let Live) है। यह सिद्धांत सभी जीवों के प्रति दया का भाव रखने पर ज़ोर देता है।

3. महावीर स्वामी को कैवल्य ज्ञान कहाँ प्राप्त हुआ?

उन्हें जुम्भिका ग्राम के पास ऋजुवालिका नदी के तट पर कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

" जय महावीर "

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