भगवान महावीर ने कौनसे पाँच महाव्रतो का उपदेश दिया था ?
भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर है । भगवान महावीर ने पंच महाव्रतो का उपदेश दिया था , जो कि सत्य ,अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्माचार्य है ।जानिये - भगवान महावीर का जीवन परिचय
श्री महावीर स्वामी का छंद
श्री सिद्धारथ कुल सिणगार ,
त्रिशलादे सुत जग आधार ।
शोभे सुन्दर सोवन वान ,
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥१॥
त्रिशलादे सुत जग आधार ।
शोभे सुन्दर सोवन वान ,
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥१॥
तुम नामे लहिये संपदा ,
तुम नामे मनवंछित मुदा ।
तुम नामे लहिये सम्मान ,
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥२॥
दुर्जन दुष्ट बैरी विकराल ,
तुम नामे नाशे तत्काल ।
तुम नामे दिन - दिन कल्याण
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥ ३ ॥
तुम नामे नाशे आपदा ,
भूत प्रेत व्यन्तर नहि कदा ।
रोग शोक चिन्ता नवि जान ,
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥ ४ ॥
ग्रह - आदिक पीड़ा नवि करे ,
नाम तमारूँ तमारूँ जे जे अनुसरे ।
धर्मसिंह मुनि - भाव - प्रधान
शरण तमारूँ श्री वर्धमान ॥ ५ ॥
" भगवान महावीर स्वामी की जय "
पढिये - चंदनबाला की कहानी (जैन कहानी)
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" जय जिनेन्द्र "
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