अकंपित गौतम , भगवान महावीर के 8 वें गणधर थे। वे गौतम गोत्रिय ब्राह्मण थे। इन्होंने अपने 300 शिष्यों के साथ 48 वर्ष की अवस्था मे भगवान महावीर से दीक्षा ग्रहण की थी, तथा भगवान महावीर के ८ वें शिष्य कहलाये। अकंपित जी ने 78 वर्ष की अवस्था में निवार्ण प्राप्त किया ।
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गणधर अकंपित गौतम जी की शंका
भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक अकंपित गौतम जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य, प्रथम गणधर , अकंपित गौतम जी के नाम से विख्यात हुये ।
प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था
अकंपित गौतम के मन में शंका थी कि, क्या नरक का अस्तित्व होता है या नहीं ?
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