गणधर अचलभ्राता जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
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गणधर अचलभ्राता जी का जीवन परिचय

अचलभ्राता , भगवान महावीर के ९ वें गणधर थे। ये भी ब्राह्मण थे तथा उनके ३०० ब्राह्मण शिष्य भी भगवान महावीर के संघ में दीक्षित हो गये थे। ७२ वर्ष कि आयु मे इन्होने निर्वाण प्राप्त किया 


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महावीर जी के नवें शिष्य


गणधर अचलभ्राता जी की शंका




भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक अचलभ्राता जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के नवें शिष्य, नवम् गणधर,अचलभ्राता जी के नाम से विख्यात हुये ।

प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था ।

अचलभ्राता के मन में शंका थी कि, क्या पाप और पुण्य होता है ?

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॥ इति ॥

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