प्रभु श्रेयांसनाथ जी की आरती

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श्री श्रेयांसनाथ जी

श्री श्रेयांसनाथ जी की आरती 

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे 

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।


स्वर्ण वर्णमय प्रभा निराली, मूर्ति तुम्हारी हैं मनहारी।

सिंहपूरी में जब तुम जन्मे, सुरगण जन्म कल्याणक करते। 

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। 

विष्णु मित्र पितु, नन्दा माता, नगरी में भी आनन्द छाता।

फागुन वदि ग्यारस शुभ तिथि थी, जब प्रभु वर ने दीक्षा ली थी।

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। 

माघ कृष्ण मावस को स्वामी,कहलाये थे केवलज्ञानी।

श्रावण सुदी पूर्णिमा आई, यम जीता शिव पदवी पाई। 

श्रेय मार्ग के दाता तुम हो, जजे चन्दनामति शिवगति दो।

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे। 

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।

प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।


जानिये - श्रेयांसनाथ जी का जीवन परिचय


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