सुविधिनाथ जी (पुष्पदन्त भगवान) की आरती
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी, प्रभु जय पुष्पदन्त स्वामी।
काकन्दी में जन्में, त्रिभुवन में नामी॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
फाल्गुन कृष्णा नवमी, गर्भकल्याण हुआ। स्वामी……
जयरामा सुग्रीव मात-पितु, हर्ष महान हुआ॥१॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
मगशिर शुक्ला एकम, जन्मकल्याणक है। स्वामी….. तपकल्याणक से भी, यह तिथि पावन है॥ २॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
कार्तिक शुक्ला दुतिया, घातिकर्म नाशा। स्वामी…….
पुष्पकवन में केवल-ज्ञानसूर्य भासा॥३॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
भादों शुक्ला अष्टमि, सम्मेदाचल से। स्वामी……
सकल कर्म विरहित हो, सिद्धालय पहुँचे॥ ४॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
हम सब घृतदीपक ले, आरति को आए। स्वामी…..
यही ‘‘चंदनामती’’ कहे, भव आरत नश जाए॥५॥
ॐ जय पुष्पदन्त स्वामी…
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" जय जिनेन्द्र "
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