24 Tirthankaras Names With Symbols

Abhishek Jain
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24 Tirthankaras Names With Symbols in Hindi

जैन धर्म (Jainism) में प्रत्येक तीर्थंकर (Tirthankara) प्रभु के प्रतीक चिह्न होते है । जैन धर्म के 24 तीर्थंकरो के अलग - अलग 24 प्रतीक चिह्न है । प्रत्येक तीर्थंकर प्रभु की प्रतिमा को उनके प्रतीक चिह्न से हि पहचाना जाता है ।

तीर्थंकर भगवान के जन्म के 10 अतिशय होते हैं, जिनमें से एक अतिशय उनके शरीर में शुभ 1008 चिन्ह होना है। सुमेरु पर्वत पर अभिषेक करते समय सौधर्म इन्द्र इनके दायें पैर के अँगूठे में चिन्ह (लांछन) देखता है और इस चिन्ह से ही तीर्थंकर प्रभु की पहचान होती है। 24 तीर्थंकरों के ये चिन्ह अलग-अलग होते हैं जो सामान्यतया पशु-पक्षी आदि तिर्यचों के होते हैं। इस चिन्ह से तीर्थंकर के पूर्व भव का कोई संबंध नहीं होता है। मूर्ति पर चिन्ह से यह मालूम हो जाता है कि यह मूर्ति कौन से तीर्थंकर प्रभु की है।

जानिये - जैन धर्म के २४ तीर्थंकर

तीर्थंकर

तीर्थंकर और उनके प्रतीक चिह्न

तीर्थकर चौबीस हैं। प्रत्येक तीर्थकर का एक चिन्ह है, जिसे लांछन कहा जाता है। तीर्थंकर मूर्तियां प्रायः समान होती है।

केवल ऋषभदेव की कुछ मूर्तियों के सिर पर जटायें पाई जाती है तथा पार्श्वनाथ की मूर्तियों के ऊपर सर्प का फण होता है सुपार्श्वनाथ की कुछ मूर्तियों के सिर के उपर भी सर्प का फण मिलते हैं। पार्श्वनाथ और सुपार्श्वनाथ के सर्प-फणों में साधारण सा अन्तर मिलता है। सुपार्श्वनाथ की मूर्तियों के ऊपर पाँच फण होते हैं और श्री पार्श्वनाथ जी की मूर्तियों के सिर के ऊपर सात, नौ, ग्यारह अथवा सहस्र सर्प फण पाये जाते है।

इन तीर्थंकरों के अतिरिक्त शेष सभी तीर्थंकरों की मूर्तियों में कोई अन्तर नहीं होता। उनकी पहचान चरण- चौकी पर अंकित उनके चिन्हों से ही होती है। चिन्ह न हो तो हमें मूर्तियों को पहचानने में बड़ा भ्रम हो जाता है। कभी-कभी तो लांछनरहित मूर्ति को साधारण जन चतुर्थकाल की मान बैठते हैं, जबकि वस्तुतः श्रीवत्स लांछन और अष्ट प्रातिहार्य से रहित मूर्ति सिद्धों ( सिद्ध भगवान ) की कही जाती है । इस प्रकार से अगर हमे हाथी के लांछन वाली मूर्ती मिलती है तो वह अजितनाथ भगवान की होगी और यदि सिंह के चिह्न की मूर्ती होगी तो वह प्रभु भगवान महावीर स्वामी जी की होगी ।

इसलिये मूर्ति के द्वारा तीर्थकर की पहचान करने का एकमात्र साधन तीर्थकर प्रभु की प्रतिमा की चरण-चौकी पर अंकित उसका चिन्ह ( लांछन ) ही है ।

जैन धर्म के तीर्थंकर प्रभु के प्रतीक चिह्न निम्न है -:




3. श्री संभवनाथ जी - अश्व (घोड़ा)







10. श्री शीतलनाथ जी - कल्पवृक्ष





15. श्री धर्मनाथ जी - वज्रदंड

16. श्री शांतिनाथ जी - मृग (हिरण)









इस प्रकार से बैल प्रभु ऋषभदेवजी का और सिंह प्रभु महावीर स्वामी जी का प्रतीक चिह्न है । प्रत्येक तीर्थंकर प्रभु के प्रतिमा कि पहचान उनके प्रतीक चिह्न से हि की जाती है ।

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