why do jain monks cover their mouths ?

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जैन साधु मुँह पर पट्टी क्यो बाँधते है ?

जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत अहिंसा है , और एक जैन मुनी जब दीक्षा ग्रहण करता है तब वह सभी प्रकार के जीवो कि हिंसा का त्याग करता है। जहाँ तक संभव हो सके वह जीव -जंतुओ कि सहायता करते है, इस प्रकार से वायु मे पनप ने वाले छोटे जीवो कि रक्षा के लिए जैन साधु-साध्वी मुँह पर पट्टी बाँधते है, प्राकृत भाषा मे इन्हे बादर - वायुकाय कहा जाता है।


jain monks
जैन मुनी

जैन मुनी न दिखने वाले जीवों के प्रती भी दया भाव रखते है , आज से सैकडो वर्ष पहले जब लोगो को सूक्ष्म जीवो का ज्ञान नही था तब भी जैन मुनी मुँह पर पट्टी लगाते थे । 


दुसरा इसका प्रमुख कारण है कि जब कभी जैन मुनी शास्त्र कि वाचना करते है , तब उनके मुंह से सूक्ष्म मात्रा में भी थूक का अंश पवित्र पुस्तक पर नही पडता ऐसा करके वह शास्त्र के प्रति सम्मान व्यक्त करते है।अहिंसा व जीव दया ,पंचमहाव्रती , 3 गुप्तीयो को धारण करने के कारण जैन मुनी मुहँ पर पट्टी धारण करते है

अगर कोई त्रुटी हो तो "तस्स मिच्छामी दुक्कडम".

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" जय जिनेन्द्र ".

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