भगवान ऋषभदेव के चौरासी (84) गणधर

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भगवान ऋषभदेव जी इस काल के जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे  प्रभु ऋषभदेव जी इस काल में जैन धर्म के संस्थापक के रूप में जाने जाते है । जिस प्रकार से भगवान महावीर के 11 गणधर थे, उसी प्रकार से प्रभु ऋषभदेव के 84 गणधर थे , अलग - अलग ग्रंथों में प्रभु के गणधरो के नाम में अतंर हो सकता है ,

यहाँ पर लिखे हुये नाम महापुराण के अनुसार है ।

जानिये - जैन धर्म में गणधर क्या होते हैं ?

भगवान ऋषभदेव जी के 84 गणधर -

1.वृषभसेन 

2.कुंभ

3. दृढरथ

4.शतधनु 

5.देवशर्मा 

6.देवभाव

7.नंदन

8.सोमदत्त

9.सूरदत्त

10.वायुशर्मा

11.यशोबाहु

12.देवाग्नि

13.अग्निदेव

14.अग्निगुप्त

15.मित्राग्नि

जानिये - जैन धर्म के छः द्रव्य

16.हलभृत

17.महीधर

18.महेंद्र

19.वसुदेव

20.वसुंधर

21.अचल

22.मेरु

23.मेरुधन

24.मेरुभूति

25.सर्वयश

26.सर्वगुप्त

27.सर्वप्रिय

28.सर्वदेव

29.सर्वयज्ञ

30.सर्वविजय

जानिये - जैन धर्म में लेश्या क्या है ?

31.विजयगुप्त

32.विजयमित्र

33.विजयिल

34.अपराजित

35.वसुमित्र

36.विश्वसेन

37.साधुसेन

38.सत्यदेव

39.देवसत्य

40.सत्यगुप्त

41.सत्यमित्र

42.निर्मल

भगवान ऋषभदेव के 84 गणधर

43.विनीत

44.संवर

45.मुनिगुप्त

46.मुनिदत्त

47.मुनियज्ञ

48.मुनिदेव

49.गुप्तयज्ञ

50.मित्रयज्ञ


51.स्वयंभू

52.भगदेव

53.भगदत्त

54.भगफल्गु

55.गुप्तफल्गु

56.मित्रफल्गु

57.प्रजापति

58.सर्वसंघ

59.वरुण

60.धनपालक

61.मघवान्

62.तेजोराशि

63.महावीर

64.महारथ

65.विशालाक्ष

66.महाबाल

67.शुचिशाल

68.वज्र

69.वज्रसार

70.चंद्रचूल


71.जय

72.महारस

73.कच्छ

74.महाकच्छ

75.नमि

76.विनमि

77.बल

78.अतिबल

79.भद्रबल 

80.नंदी

81.महीभागी

82.नंदिमित्र

83.कामदेव

84.अनुपम

इस प्रकार भगवान् ऋषभदेव के चौरासी गणधर थे।


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" जय जिनेन्द्र "
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