गणधर मंडितपुत्र जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
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मंडितपुत्र जी, भगवान महावीर के ६ वें गणधर थें। इन्के साथ ३५० शिष्यो ने भी भगवान महावीर की दीक्षा अंगिकार की थी।

मंडितपुत्र जी मौर्य सन्निवेश के वसिष्ठ गोत्रीय ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम धनदेव और माता का नाम विजया देवी था।

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मंडितपुत्र जी ने तीन सौ पचास (350) शिष्यों के साथ भगवान महावीर के सान्धिय में श्रमण दीक्षा ग्रहण की। दीक्षाकाल में इनकी अवस्था 53 वर्ष की थी। चौदह वर्ष साधना कर 67 वर्ष की अवस्था में इन्होंने केवलज्ञान प्राप्त किया। भगवान के निर्वाण पूर्व इन्होंने केवलज्ञान प्राप्त किया। भगवान के निर्वाण पूर्व इन्होंने सोलह वर्ष केवली पर्याय में रह कर तिरासी (83) वर्ष की अवस्था में अनशन पूर्वक निर्वाण प्राप्त किया ।

भगवान महावीर कें 6 वें शिष्य

गणधर मंडितपुत्र जी की शंका

भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक मंडितपुत्र जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के छठें शिष्य, छः वें गणधर ,मंडितपुत्र जी के नाम से विख्यात हुये ।

प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था

मंडितपुत्र जी के मन में शंका थी कि, आत्मा का बंधन और मोक्ष होता है या नहीं ?

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॥ इति ॥

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