जानिये - जैन धर्म में गणधर क्या होते हैं ?
गणधर अग्निभूती जी जी की शंका
भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक अग्निभूती जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के दूसरे शिष्य, द्वितिय गणधर अग्निभूती जी के नाम से विख्यात हुये ।
प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था
अग्निभूती जी को शंका थी कि, कर्म सिद्धांत होता है या नही ?
॥ इति ॥
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" जय जिनेन्द्र "
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