गणधर अग्निभूती जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
0
गणधर अग्निभूती जी प्रभु महावीर के द्वितिय गणधर (शिष्य) थे । ये गौतम स्वामी जी के सहोदर भाई थे ।अग्निभूती गौतम ने पाँच सौ छात्रों के साथ 46 वर्ष की अवस्था में श्रमण भगवान महावीर स्वामी की सेवा में मुनि-धर्म स्वीकार किया और बारह वर्ष तक छद्मस्थ भाव में रहकर केवलज्ञान प्राप्त किया। सोलह वर्ष केवली पर्याय में रहकर इन्होंने भगवान के जीवनकाल में ही गुणशील चैत्य में एक मास के अनशन से मुक्ति प्राप्त की। इनकी पूर्ण आयु चौहत्तर वर्ष की थी।

जानिये - जैन धर्म में गणधर क्या होते हैं ?

भगवान महावीर के द्वितिय गणधर

गणधर अग्निभूती जी जी की शंका

भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक अग्निभूती जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के दूसरे शिष्य, द्वितिय गणधर अग्निभूती जी के नाम से विख्यात हुये ।

प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था

अग्निभूती जी को शंका थी कि, कर्म सिद्धांत होता है या नही ?


॥ इति ॥

अगर आपको मेरी यह blog post पसंद आती है तो please इसे Facebook, Twitter, WhatsApp पर Share करें ।

अगर आपके कोई सुझाव हो तो कृप्या कर comment box में comment करें ।

Latest Updates पाने के लिए Jainism knowledge के Facebook page, Twitter account, instagram account को Follow करें । हमारे Social media Links निचे मौजूद है ।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

एक टिप्पणी भेजें (0)