गणधर गौतम स्वामी जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
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गणधर गौतम स्वामी जी का जीवन परिचय


इंद्रभूति गौतम (गौतम गणधर) तीर्थंकर महावीर के प्रथम गणधर (मुख्य शिष्य) थे। गौतम स्वामी जी को भगवान महावीर के निवार्ण के अगले दिन कैव्लय ज्ञान की प्राप्ती 80 वर्ष की उम्र में हुई थी । गौतम स्वामी जी नें विलाप करते - करते अपने दर्शन के प्रवाह को मोडा और प्रभु के निर्वाण (दीपावली) के अगले दिन ज्ञान की प्राप्ती की ।


अभी जानें जैन धर्म में गणधर क्या होते हैं ?


गौतम स्वामी जी की आयु 92 वर्ष थी , जिसमें से 12 वर्ष उन्होने केवलय ज्ञान की अवस्था में बितायें थे । ये गौतम स्वामी जी की हि जिज्ञासा का परिणाम है कि हमें प्रभु महावीर की दुर्लभ वाणी प्राप्त हो सकी ।


भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम स्वामी जी



क्या आप नित्य 
श्री गौतमस्वामी जी स्तोत्र का पाठ करते है ?

जन्म

इनका जन्म मगध राज्य के गोब्बर गाँव में ब्राह्मण वसुभूति और माता पृथ्वी के घर हुआ था। उनका जन्म ईसा से 607 वर्ष पूर्व हुआ था (जैन इतिहास के प्रसंग-इन्द्रभूति गौतम स्वामी पुस्तक के अनुसार)। अपने गोत्र 'गौतम' से जाने जाते थे। उनके दो भाई अग्निभूत और वायुभूति थें 


गौतम स्वामी जी का ज्ञान

ज्ञाता सम्पूर्ण 14 विद्याओं में पारंगत, 4 वेदों के ज्ञाता, 6 वेदांग- शिक्षा,कल्प, व्याकरण,निरूक्त, छ्न्द, ज्योतिष तथा 4 उपांग- मीमांसा, न्याय, धर्म शास्त्र एवं पुराणों में पारंगत थें। जैन वांग्मय के अनुसार इन्द्रभूति गौतम प्रख्यात विद्वान और आचार्य थे। उनके पास 500 छात्र अध्ययन करते थे।


गौतम स्वामी जी की शंका

भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक इंद्रभूति गौतम ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य, प्रथम गणधर गौतम स्वामी जी के नाम से विख्यात हुये । भगवान महावीर कैवल्य ज्ञान से युक्त थे क्षण भर में प्रभु ने गौतम स्वामी जी की शंका का निवारण कर दिया ।


प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था ।


गौतम स्वामी जी को शंका थी कि, आत्मा होती है या नही ?


शुद्ध भावना भाव कर पढ़िये गौतम ! मत प्रमाद करो (जैन भजन)


॥ इति ॥

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