जैन धर्म की प्राचीनता ( दार्शिनक मत से )
इसलिए जैन धर्म में ईश्वर को सिर्फ ज्ञाता दृष्टा कहा है जो सब कुछ जानता है परन्तु न हि तो वह इस त्रिलोकी का कर्ता है और न ही इस पर कभी प्रलय आती है अर्थात् संसार में कभी भी शून्य की स्थिती नही होती है , अगर धर्म शाश्वत है , तो जैन धर्म कितना प्राचीन होगा। वर्तमान मान्यता अनुसार इस आरे की व्यवस्था के अनुसार इस कालक्रम में जैन धर्म के प्रवर्तक प्रभु ऋषभदेव जी है , परन्तु उनसे पहले भी न जाने कितने तीर्थंकर भूतकाल में हो चुके है और न जाने इस प्रकार से 24 के क्रम में कितने तीर्थंकर भविष्य में होंगे अर्थात् जैन धर्म का कोई भी संस्थापक नही है , हिन्दु धर्म के समान यह भी सनातन है और इसके और छौर का भी कोई पता नही लगा सकता ।
यह भी जाने - क्या जैन हिन्दू होते है ?
एक मान्यतानुसार हिन्दु धर्म भी ब्रह्मांड की उत्पति से स्वयं को जोडता है तो इस संसार में धर्म कब से है तो इसके जबाब में उत्तर होगा सदा से अर्थात् धर्म सनातन है और जिस क्षण से यह ब्रह्मांड है, उसी क्षण से जैन धर्म है और ब्रह्मांड सदा से चला आ रहा है ।
जैन धर्म की प्राचीनता ( धार्मिक मत से )
यदि धर्म के अनुसार अन्य धर्म ग्रन्थों के आधार पर देखें तो भी जैन धर्म अती प्राचीन सिद्ध होता है । भारतीय हिन्दू ग्रंथ वेद में सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में जैन धर्म और प्रभु ऋषभदेव जी , अजितनाथ जी और अरिष्टनेमी जी का वर्णन है । हिन्दु पुराणो में विष्णु पुराण प्रभु ऋषभदेव जी को विष्णु जी का अवतार घोषित करता है इसके विपरित हिन्दुओ का शैव मत में प्रचलित शिव पुराण के अनुसार आदिनाथ प्रभु शिव के अवतार थे । कई बौद्ध ग्रन्थ जैन धर्म की प्राचीनता की पृष्टी करते है ! हिन्दुओ के प्रसिद्ध ग्रंन्थ वाल्मिकी रामायण के अनुसार ऋषि जाबाल और प्रभु राम के मध्य संवाद श्रमण धर्म की पृष्टी करता है । अतः भारतीय संस्कृती की दो धारा वैदिक और श्रमण परम्परां साथ - साथ रही और इसी श्रमण परम्परां में से जैन धर्म विकसित हुआ , जिसका कालांतर में कई नाम परिवर्तन के बाद जैन धर्म के रूप में विकसित हुआ, इसके साथ ही कई इतिहासिक प्रमाण यथा हडप्पा सभ्यता में कार्योत्सर्ग योगी की प्रतिमा जैन धर्म की उपस्थिती की पृष्टी करते है ।
जैन धर्म के श्लाकापुरुष
शलाकापुरूष जैन धर्म मे विशिष्ट व्यक्ति होते है, इन्की संख्या 63 होती है। एक काल खण्ड मे 63 विशिष्ट पुरूष पैदा होते है, जो शलाकापुरूष कहालाते है। इनके अतिरिक्त 20 विरहमान तीर्थंकर भी पूजे जाते है ।
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ति, 9 बलदेव, 9 वासुदेव एवं 9 प्रतिवासुदेव होते है। इस तरह से 24+12+9+9+9=63 होता है। शलाकापुरुष से इतर जैन धर्म में 9 नारद व 11 रुद्रो का भी वर्णन मिलता है । शलाकापुरूष विशिष्ट पुण्यशाली पुरूष होते है, जो अपने विशिष्ट कर्मो के कारण विशेष पद धारण करते है ।
( क्या आप जैन धर्म के शासन देव और जैन धर्म में देवियों के बारे में जानना चाहोगे ? )
जैन धर्म के महत्वपूर्ण सामान्य तथ्य जिससे आप जैन धर्म से जुडी मुख्य बातें जान जायेंगे -
जैन धर्म के नव तत्व , जैन धर्म में छः प्रकार के द्रव्य , 18 प्रकार का पाप और 9 प्रकार के पुण्य का वर्णन मिलता है । जैन धर्म में ज्ञान के 5 प्रकार बताये गये है । जैन धर्म में चार तीर्थ साधु , साध्वी , श्रावक व श्राविका बताये गये है । जैन धर्म का मुख्य धर्म अनुष्ठान सामायिक होता है तथा जैन धर्म का सबसे प्रमुख मंत्र नवकार मंत्र है । जैन धर्म में व्रत व उपवास पर भी बहुत महत्व दिया जाता है । जैन धर्म के कई धार्मिक स्तोत्र यथा भक्तामर जी , कल्याण मंदिर जी , पद्मावती देवी जी का स्तोत्र आदि चमत्कारिक स्तोत्र उपलब्ध है । जैन लोग तीर्थंकर प्रभु के आरती व चालीसा का गायन भी करते है । जैन धर्म में कई त्यौहार मनाये जाते है । जिनमे महावीर जंयती , संवत्सरी , पर्यूषण महापर्व , दसलक्षण पर्व , दीपावली आदि प्रमुख है । जैन लोगो के द्वारा रोहिणी व्रत भी किया जाता है । जैन लोग सामान्य मेल मिलाप में " जय जिनेन्द्र " बोलते है तथा अगर कोई भूल या क्षमा याचना के लिए ' मिच्छामी दुकड्म ' बोला जाता है । जैन तीर्थंकर धर्म में सर्वोच्च स्थान पर होते है उसके बाद उनके शिष्य यानी गणधरो का स्थान आता है , उसके बाद जैन धर्म के प्रमुख आचार्य कहलाते है । जैन धर्म के तीर्थकरो को अरिहंत कहा जाता है र्निवाण बाद की अवस्था सिद्ध कहलाती है । प्रत्येक जीव जैन धर्म के त्रिरत्न - सम्यक ज्ञान , सम्यक दर्शन , सम्यक चरित्र में आस्था रख मुक्ति प्राप्त कर सकते है ।
ये post एक प्रयास है जैन धर्म के बारे में समझाने का ताकी आप जैन दर्शन की गहराई को समझ सकें तथा स्यादवाद व अनेकांतवाद के महत्व को समझ सकें । आप इस बात से धर्म की गहराई जाने कि इसका कितना बडा आगम साहित्य है और ये वर्तमान में स्थापित महान प्रभु महावीर की परम्परा है । इस post में संक्षिप्त वर्णन दिया है आप hyperlinks का use करके उन चीजों के बारे में विस्तार सें जान सकते हो । ऐसा मान लो ये post एक झांकी की तरह है और आप यहां से जान सकते है ।
अगर आप और जानना चाहते है या मै इस पृष्ठ पर क्या जोडूं तो आप comment कर सकते है । अगर कोई त्रुटी हो तो ' तस्स मिच्छामी दुक्कडम ' ।

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।