गणधर वायुभूती जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
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वायुभूती जी भगवान महावीर के तृृृृतीय गणधर थे। ये इंद्रभूति गौतम व अग्निभूति गौतम के भाई थे। वायुभूती जी दीक्षा के समय बयालीस वर्ष (42) के थें। 10 वर्ष छद्ममस्थ भाव में साधना करके वायुभूती जी ने केवलज्ञान प्राप्त किया और ये अठारह वर्ष तक केवली रूप से विचरते रहे। भगवान महावीर के निर्वाण से दो वर्ष पहले एक मास के अनशन से इन्होंने भी सत्तर (70) वर्ष की अवस्था में निर्वाण प्राप्त किया ।

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भगवान महावीर के तृतीय शिष्य ( गणधर )

गणधर वायुभूति गौतम जी की शंका

भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक वायुभूती जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के तिसरे शिष्य, तृतीय गणधर ,वायुभूती जी के नाम से विख्यात हुये ।

प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था

वायुभूति को शंका थी कि, जीव और शरीर एक है या पृथक ?

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॥ इति ॥

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