थावच्चा पुत्र की कहानी ( जैन कहानी )
थावच्चापुत्र एक दिन अपनी अट्टालिका पर खड़ा था। उसके कानों में मधुर-मधुर गीत सुनाई दिए। वह उन्हें सुनता गया। उसे बड़ा अच…
थावच्चापुत्र एक दिन अपनी अट्टालिका पर खड़ा था। उसके कानों में मधुर-मधुर गीत सुनाई दिए। वह उन्हें सुनता गया। उसे बड़ा अच…
श्री पद्मावती स्तोत्र श्री शुक्ल पद्मावती जननी, मम हृदय बस कमलासिनी। ध्याऊँ निन्तर भक्त पारस, नाथ ज्योति प्रकाशिनी।। तु…
श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र (कल्पबेल चिन्तामणि) कल्पबेल चिन्तामणि, कामधेनु गुण खान । अलख अगोचर अगमगति, चिदानन्द भ…
श्री पैंसठिया यंत्र का छंद बहुत हि मंगलकारी और प्रभावशाली है, इस स्तुति के माध्यम से 24 तीर्थंकर प्रभु की आराधना की जात…
सिद्ध अरिहंत स्तुति सूत्र णमोत्थुणं, अरिहंताणं, भगवंताणं ।1। आइगराणं, तित्थयराणं, सयं-संबुद्धाणं ।2। पुरिसुत्तणामं, प…
जिसमें गुण और पर्याय दोनों होते हैं, उसे द्रव्य कहते है। गुण का अर्थ है-सदा साथ में रहने वाला धर्म और पर्याय का अर्थ है…
राजगृह नगर में अर्जुन नामक एक मालाकार अर्थात् माली रहता था। उसका नगर के बाहर एक बहुत सुन्दर व्यावसायिक उद्यान था। उसी उ…
लोगस्स उज्जोयगरे, धम्म-तित्थयरे, जिणे। अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसं पि केवली ।1। उसभ-मजियं च वंदे, संभव-मभिणंदणं च, सुमइ…
भगवान महावीर के दीक्षा पश्चात् 27वां वर्ष चल रहा था । प्रभु महावीर श्रावस्ती नगरी के कोष्टक उद्यान में पधारे थे । उसी …
प्रभु श्रेयांसनाथ जी जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर है , प्रभु का जन्म फाल्गुन कृष्ण एकादशी के दिन सारनाथ में हुआ था । प्रभ…
प्रभु शीतलनाथ जी जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर है । प्रभु का जन्म माघ कृष्ण बारस को भद्रिकापुरी नगरी में इक्ष्वाकु कुल मे…